चलो प्रिये चलें

चलो प्रिये चलें

कांटों भरी इस राह पर

चलें प्रिये

कि जिन्दगी का इम्तहान है

प्यार कोई

आसान सी गली नहीं

फिर भी चलें

कि वक्त का तकाजा है यही

तुम्हारे राह की

बाधा कोई मिथक नहीं

चलो प्रिये

हम इस आईने को तोड़ दें

दिखाता है

तुम्हें जो मात्र एक जिस्म सा

चलो हम

तोड़ दें सौन्दर्य के प्रतिमान सब

तुम्हारी दासता

के वास्ते गढ़ा हुआ
चलो कि

चाहिए मुझको तुम्हारा प्रेम वह

कि जिसमें

हर चुनाव पूर्णतः निर्बन्ध हो

चलो चलें

कि कोई रीति न साक्षी बने

चलो साझा करे

सब कुछ परस्पर इस तरह

जरूरी न रहें

कोई सात फेरे और वचन

चलो हम

 मुक्त कर दें बेड़ियों से रूह को

चलो चलें

कि मंजिलें हैं इन्तजार में

sanjaydixitsamarpit द्वारा

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